पुरुषोत्तममास द्वितीयपक्षकी 'कामदा' एकादशीका माहात्म्य
पुरुषोत्तममासके द्वितीय पक्षकी एकादशीका नाम 'कामदा' है। जो श्रद्धापूर्वक 'कामदा' के शुभ व्रतका अनुष्ठान करता है, वह इस लोक और परलोकमें भी मनोवांछित वस्तुको पाता है । यह 'कामदा' पवित्र, पावन, महापातकनाशिनी तथा व्रत करनेवालोंको भोग एवं मोक्ष प्रदान करनेवाली है। नृपश्रेष्ठ! 'कामदा एकादशीको विधिपूर्वक पुष्प, धूप, नैवेद्य तथा फल आदिके द्वारा भगवान् पुरुषोत्तमकी पूजा करनी चाहिये । व्रत करनेवाला वैष्णव पुरुष दशमी तिथिको काँसके बर्तन, उड़द, मसूर, चना, कोदो, साग, मधु, पराया अन्न, दो बार भोजन तथा मैथुन – इन दसोंका परित्याग करे। इसी प्रकार एकादशीको जूआ, निद्रा, पान, दाँतुन, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध और असत्य भाषण इन ग्यारह दोषोंको त्याग दे तथा द्वादशीके दिन काँसका बर्तन, उड़द, मसूर, तेल, असत्य भाषण, व्यायाम, परदेशगमन, दो बार भोजन, मैथुन, बैलकी पीठपर सवारी, पराया अन्न तथा साग इन बारह वस्तुओंका त्याग करे। राजन्! जिन्होंने इस विधिसे 'कामदा' एकादशीका व्रत किया और रात्रिमें जागरण करके श्रीपुरुषोत्तमकी पूजा की है, वे सब पापोंसे मुक्त हो परम गतिको प्राप्त होते हैं। इसके पढ़ने और सुननेसे सहस्त्र गोदानका फल मिलता है।